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रविवार, 24 मार्च 2013

होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें,

होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें, 
सभी क्षेत्रवासियों, प्रदेशवासियों सहित देश विदेश में बसे समस्त हिन्दू समाज को होली की हार्दिक बधाई, युगदर्पण परिवार YDMS की ओर से हार्दिक शुभकामनायें, 

वन्देमातरम, होली पारंपरिक प्रेम से मनाएं, पारंपरिक पर्वों को अरूचिकर बनाने के विदेशी कुचक्रो से, अभद्रता व नशे को नहीं, सादगी व सोम्यता को अपनाएं। अपनी संस्कृति अपनी धरोहर से राष्ट्र तथा राष्ट्र से ही हम हैं। आधुनिकता फैशन या परम्परा नकारने में नहीं, परम्पराओं  को आधुनिक धरातल देने में है। अपनी संस्कृति के आधुनिक रक्षक बने, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS परिवार में आप भी जुड़ें:- 
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS9911111611, yugdarpan.com 
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
ये शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते।

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

"आधुनिकता की उपज - आधुनिक रावण व दामिनी"

"आधुनिकता की उपज - आधुनिक रावण व दामिनी" 
विगत दिनों घटे सामूहिक बलात्कार कांड से देश भर में जनाक्रोश के बाद भी स्थिति यथावत रहने की टीस समाज में बनी रहना, व इसे लेकर समाज के नर नारी में टकराव बनाने का प्रयास करते तत्व। यह दृश्य जिन्हें कचोटता नहीं, वे इसे महिला विरोधी हिंसा या पुरुषों का दोष बताएँगे। देश में कुकुरमुत्ते जैसे गली -2 उगते रावण व दमिनीयों के शीलहरण की इन घटनाओं का कारण, जब वैलेंटाइन की कथित प्रगति शील आधुनिक अपसंस्कृति की उपज कहा जाता है, इन्हें आपत्ति होती है। किन्तु वामपंथियों व शर्मनिर्पेक्षों या इनसे भ्रमित युवाओं की आपत्तियों से सत्य को बदला तो नहीं जा सकता ? हम कहें आग लगा कर तवे पर रोटियां डाल दें, तथा किसी को हिलाने भी न दें; तो रोटियां जलना स्वाभाविक है। इसके लिए रोटी को आग से हटाना ही होगा । निश्चित ही अब इसे रोकने का समय आ गया है।
यह कहा जा सकता है, कि रावण तो त्रेता युग में था। हाँ, उसने भी सीता माता का अपहरण तो किया, किन्तु शीलहरण नहीं। अनजाने नहीं, कुचक्र पूर्वक किये गए, इतने अपराध के लिए; पूरे वंश का नाश तथा युगों युगों तक समाज में इसके प्रति जागरूकता बनाने वाले हमारे राष्ट्रीय पर्व, हमारी राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक हैं। वैलेंटाइन डे, ये डे -वो डे केवल आर्चीज़ जैसे महंगे सन्देश पत्र (ग्रीटिंग कार्ड) बेचने के उपभोग्तावादी, व किसी न किसी बहाने हमारे चेतना के पर्व हटाने के; चेतन संस्कृति को अपसंस्कृति में बदलने के, कुचक्र को समझने की आवश्यकता है। 
फिल्मों व चेनलों में शैली (स्टाइल) के नाम पर जो सिखाया जा रहा है। उसकी राष्टीय चेतना में सकारात्मक नहीं नकारात्मक भूमिका है। किसी फ़िल्मी या नायिका की किसी अदा को बार बार दिखाया जाता है। अभी किसी रियेलिटी शो में कहा व दिखाया गया, किसी फिल्म में नायक अक्षय ने जैसे (हे ...) कहा उसे दोहराना था। अथवा कहीं सलमान खान ने एक कपडा अपनी टांगों के बिच जैसे चलाया वही दोहराना, जैसी अनावश्यक बातें अथवा हमारे सामाजिक पारिवारिक सम्बन्ध के मूल तत्व के रहित केवल लोकप्रियता पाने हेतु इन नामों से ये डे -वो डे बनाकर, चालाकी से उपभोगतावाद बढाने के अतिरिक्त,
इसमें हमारी चेतना व संस्कृति का कोई अंश नहीं है। 
अभी कमल हसन की एक फिल्म को मुस्लिम विरोध के कारण, दक्षिण में एक राज्य सरकार ने रोक लगा दी। इस प्रकार तुष्टीकरण से सदा उनका मनोबल बढाया जाता रहा है। इसके पूर्व अनेकों अवसरों पर हिन्दू भावनाओं पर आघात होते रहे। ऐसी फिल्मों व अन्य कार्यक्रमों तथा हुसैन के चित्रों व उसकी प्रदर्शनी के विरोध को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का विरोध बताया जाता रहा। किन्तु अब किसी के द्वारा मुस्लिमों से अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता या सहृदयता की अपेक्षा नहीं की गई।
हमारा लक्ष्य किसी सम्प्रदाय का विरोध नहीं अपितु ये दोहरे मापदंड व तुष्टीकरण की कुटिल नीति व इसके दुष्परिणामों से देश बचाने का है। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ही धार्मिक /सांप्रदायिक भेदभाव का निकृष्ट राष्ट्र विरोधी कार्य करना शर्मनिर्पेक्षता है। समाज व राष्ट्र के लिए अहितकर है। स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष जो दूसरों को साम्प्रदायिक कहते हैं, स्वयं साम्प्रदायिकता के निकृष्टतम उदाहरण हैं। 
ऐसे इन शर्मनिर्पेक्ष तत्वों से सचेत रह कर, इनके कुचक्र से समाज को बचाने व राष्ट्र चेतना जगाने की आवश्यकता है। तथा उपभोगतावाद के दिए गए, अपसंस्कृति कारक वेलेंटाइन डे, फैशन व शैली (स्टाइल) नहीं, भारतीय जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार हमारी चेतन संस्कृति से दूर ले जाने के जो अन्य नए नए कुचक्र हैं, उनके स्थान पर अपने पर्व तथा दिवस मनाएं। कल 15 फरवरी बसंत पंचमी है। क्या हमारी युवा पीड़ी को इसके बारे में जानकारी है? भारतीय जीवन शैली व राष्ट्र चेतना से जुड़े पर्व मनाएं।
भारतीय पर्व जानने समझने ऐसी महत्त्वपूर्ण, विविधतापूर्ण नवीनतम जानकारी का सटीक व उत्कृष्ट स्त्रोत - जीवन शैली दर्पण, धर्मसंस्कृति दर्पण, राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, युवा दर्पण, ...। वेब से पायें हमारे 28 विविध ब्लाग, 5 चेनल, व अन्य सूत्र, नकारात्मक पत्रकारिता के सकारात्मक विकल्प का संकल्प युग दर्पण मिडिया समूह YDMS. 9911111611. yugdarpan.com
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
नए रावण व दामिनी -आधुनिकता की उपज
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
ये शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते।

रविवार, 20 जनवरी 2013

राष्ट्र की दुर्दशा, कारण, निवारण :

राष्ट्र की दुर्दशा, कारण, निवारण : 
आज राष्ट्र की वर्तमान दुर्दशा का मुख्य कारण है, न केवल मेकालेवादी प्रदूषित तत्वों से धर्म, संस्कृति व जीवनशैली बचाने में असफलता। साथ ही दुष्ट मीडिया से ऐसे तत्वों का समर्थन व धर्म- संस्कृति के रक्षकों की अवमानना को रोकने में भी असफलता। तथा स्वयं भागीदार बनना। विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है। विविध विषय के 28 ब्लॉग 5 चेनल व अन्य सूत्र, इस अभियान का अंग हैं, अपनी रूचि का विषय चुन कर सहभागी बने।- तिलक Yugdarpan.com
ये शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते।

सोमवार, 14 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती समारोह

स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती समारोह
स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति दिल्ली के तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द जी की150 वीं जयंती पर भव्य 'शोभा यात्रा' 
नई दिल्ली. 12 जन. 2013, उत्तिष्ठत जाग्रत का उदघोष करने वाले आधुनिक संत स्वामी विवेकानन्द जी की150 वीं जयंती के 12 जन. 2014 तक, वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमो का शुभारम्भ देश की राजधानी दिल्ली में विवेकानन्द 'शोभा यात्रा'  के रूप में हुआ। जिसमें 15,000 से अधिक व्यक्तियों द्वारा भाग लिया गया ।
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लाल किले के मंचीय कार्यक्रम में स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति की अखिल भारतीय अध्यक्षा चित्र 1 पूज्य माता  अमृतानन्दमयी देवी जी (अम्मा) द्वारा आशीर्वाद, गायत्री रिवार के सुविख्यात आध्यात्मिक विचारक डॉ. प्रणव पंड्या, द्वारा सभा को संबोधित किया गया। शोभा यात्रा को प्रमुख आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक नेताओं ने भी संबोधित किया। 
सभी वक्ताओं इस तथ्य पर बल दिया कि देश के पुनर्जागरण में देश के युवाओं की भूमिका के लिए स्वामी जी का आदर्श होना चाहिए। केवल जंगल में सन्यास लेने का अर्थ आध्यात्मिकता नहीं, इससे समाज का जीवन सुधारना है। दिशाहीन युवा से देश का भविष्य नकारात्मक बनता है। समस्त समाज को उठाने का आधार सही शिक्षा है, व शिक्षा पद्धति है।
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तथा मंच पर विराजमान अन्य नारायण गुरू संस्थान केरल के स्वामी ऋतम्भरानन्द जी, विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेशचन्द्र जी, विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के अध्यक्ष श्री पी.परमेश्वरन जी, राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिला ताई मेढे जी, वाल्मीकि समाज के सन्त स्वामी विवेकनाथ जी महाराज, संत आत्मानन्द जी (राम कृष्ण आश्रम), और राघवानन्द जी, स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव श्री अनिरुद्ध देशपाण्डे जी, स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति दिल्ली के अध्यक्ष श्री राधे श्याम गुप्ता जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा भी थे। 
स्वामी जी का संदेश:  हालांकि स्वामीजी को शिकागो व्याख्यान, "अमेरिका के भाइयों और बहनों" के माध्यम से सर्वाधिक स्मरण किया जाता है, लेकिन भारत  भारतीय और विश्व में उनके हिस्से के मिलने के बारे में उनकी चिंताएँ, प्रतिष्ठित व्याख्यान से बहुत परे है। उदाहरण के लिए कि यह व्यापक रूप से नहीं जाना जाता है कि देश के औद्योगिक विकास के लिए टाटा समूह को अपनी स्टील इकाइयों की स्थापना में प्रोत्साहित करने के लिए जिम्मेदार स्वामीजी थे। भारतीय विज्ञान संस्थान स्थापित करने के विचार का सर्जक स्वामीजी थे। स्वामी जी का संदेश देश की व्यापक आध्यात्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और औद्योगिक जागृति की प्रेरणा के लिए है। विशेष रूप से भारतीय युवा है जो देश के भविष्य हैं, व समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच स्वामी जी का संदेश फैलाने के उद्देश्य से  स्वामी विवेकानन्द की जयंती समारोह वर्ष भर चलता रहेगा।
    विवेकानन्द फाउंडेशन के तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति150 वर्ष समारोह के कार्यक्रम वर्ष भर चलेंगे। इनका उद्देश्य देश भर में और समाज के सभी वर्गों के बीच में विवेकानन्द जी की भावना को पुनर्जीवित करने के लिए है। सारे देश में स्कूलों और कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, गांवों, समाज के वंचित वर्गों, महिलाओं, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजातियों,  उत्तर पूर्वी राज्यों, आदि के माध्यम, स्वामीजी के संदेश का प्रसार करने में  (4 करोड़) से अधिक परिवारों से संपर्क किया जाएगा।
P-6.jpg'भव्य शोभा यात्रा': कार्यक्रम के अंत में लाल किला से चांदनी चौक, खारी बावली, लाहोरीगेट, नावल्टी सिनेमा, पु. दिल्ली रेलवे स्टेशन और वापस लाल किला (3.5 किमी) 'शोभा यात्रा' निकाली गई। जिसमें स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन को दर्शाती भव्य झांकियां निकाली गई। स्वामी विवेकानन्द सार्धशती के उद्देश्य व पांचों आयामों (युवा, प्रबुद्ध भारत, संवर्धिनी, ग्रामायण, अस्मिता) को दर्शाती भव्य झांकियां प्रस्तुत की गई। 'शोभा यात्रा' के मार्ग में क्षेत्र के निवासियों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, धार्मिक संगठनों, शैक्षिक संस्थानों के हजारों व्यक्तियों ने गुलदस्ते की प्रस्तुति और फूलों की पंखुड़ियों आदि, के द्वारा शोभा यात्रा का स्वागत किया गया व पूरा मार्ग बैनर और स्वागत द्वार आदि के साथ सजाया गया था। शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में स्कूली छात्रोंनागरिक व महिलाओं ने भाग लिया। 
इस शोभायात्रा में स्वामीजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के चित्रण (जैसे जाग भारत और विश्व जागो, रॉक मेमोरियल, रामकृष्ण परमहंस, शिकागो व्याख्यान, आदि) के मंचन द्वारा द्रष्टांत को दर्शाया गया। जीवन के विभिन्न रंगो से संबंधित, स्कूलों और छात्रों की एक बड़ी संख्या के अतिरिक्त व्यापार संगठनों, किसानों संघों, श्रम संघों, महिला संगठनों, सांस्कृतिक समूहों, विविध धर्म समूहों, कलाकारों, आदि से जुड़े हुए स्वामी विवेकानन्द जी के सभी अनुयायियों से सौ से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
ये शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते।

शनिवार, 5 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानन्द महान।

स्वामी विवेकानन्द महान।
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पैदा हुए थे जिस धरती पर, स्वामी विवेकानन्द महान।
जिसका यश गाता रहा ये जहान, है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान।
ये मेरा प्यारा देश महान, जन्मे स्वामी विवेकानन्द महान।
*देवी देवता, ऋषि मुनि, व महापुरुषों की कर्मस्थली यह।
ज्ञान विज्ञान, विश्व बंधुत्व, प्रेम शौर्य, मानवीय धर्मक्षेत्र है।
मानव ही नहीं जीव जंतु, व पर्यावरण समन्वय का दे ज्ञान।
इसीलिए था विश्वगुरु, तब इस पर क्यों न करें अभिमान ? 
*ग्रहण लगा था विश्वगुरु को, और मानवता जब थी बन्दी। 
आतताइयों के कृत्यों से जब यह धरा हुई सारी थी गन्दी।
1863 में भारत में जन्मे, राज था अंधकार का व फैला अज्ञान
जब ज्ञान खोजता विश्व था, शिकागो में तब कराई पहचान।
*जब राजा ही करे व्याभिचार, तो जनता हो जाती लाचार।
पहला बन्दर सोता रहता है, देश का दर्द न दूजा सुनता है।
मौनी बाबा सत्य  कहता, आश्वासन के पाखंड दिखाता है। 
तभी हैं ऐसे दुरदिन ये आये, कि सारा देश हुआ परेशान। 
*आओ फिरसे बनाये देश महान, जिसका यश गाये सारा जहान।
हम सोने की चिड़िया ऐसी बनायें, जहाँ कोई न हो परेशान। 
आने वाला कल चमकाने में, हम आज कर जायेंगे बलिदान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
जिसका यश गाता रहा ये जहान, है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान।
पैदा हुए थे जिस धरती पर, स्वामी विवेकानन्द महान।
है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान,  ये मेरा प्यारा देश महान,...
है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान,  ये मेरा प्यारा देश महान,...
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"  युगदर्पण
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

ये शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते।

शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

श्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत मेला,

http://youtu.be/o7QRyRyQPIs?t=59m57s
:: श्री  नरेन्द्र  मोदी  का  स्वागत, गुजरात में तीसरी बार विजय का मोदी मेला, 11 अशोक रोड, न दि. में 25.दिस.,2012.
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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बुधवार, 2 जनवरी 2013

गीत "संकल्प 2013"

गीत "संकल्प 2013" 

वन्देमातरम, 
भारत माता के पीड़ित वंशजो। जिस अंग्रेजियत ने हमें यह हैप्पी न्यू इयर दिया, उसीके न्यू इयर के अवसर पर, उसीके कारण आज यह देश इस मोड़ पर खड़ा है। कथित आज़ादी के बाद शीर्ष तक जाने के मार्ग भटकने में भूल गए, पहाड़ पर फिसलने का परिणाम। पहाड़ अब फिर से चढ़ेंगे, इस राष्ट्र की डगर पे, किन्तु जरा संभलके। इस पर मंथन, विचार व उपचार, एक नए गीत संकल्प 2013 के माध्यम से देने का प्रयास कर रहा हूँ। चिकित्सीय जाँच के लिए विचार व संकल्प 2013 में मिलेगा उपचार। "मेरा भारत महान" इसे उपहास का विषय बना कर रोके गए, सत्य को जन जन तक पहुंचाएं। कृ.यथासंभव: हमारा भावात्मक मिलान, गीत के सुर मिलान में दर्शायें, व दोहराएंगे।
गीत "संकल्प 2013" 
*ये मेरा प्यारा देश महान, जिसका यश गाता था जहान।
क्यों? उसके ये दुरदिन आये, के सारा देश हुआ परेशान।  
एक कदम फिसले न संभालता, चाहे कितना रहे पहलवान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*ऋषि मुनि, महापुरुषों व क्रान्तिकारियों का कर्मक्षेत्र यह।
आतंक भ्रष्टाचार अनाचार और दुराचार का शासन बना ?
दवा लगानी है जो घाव पर, कर जाँच कारण को पहचान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*जब राजा ही करे व्याभिचार, तो जनता हो जाती लाचार।
पहला बन्दर सोया रहता है,  दूजा तेरे दर्द नहीं सुनता है।
मौन रहे पर सत्य  कहता, आश्वासन है पाखंड ये जान।  
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*चोर को थानेदार बनाया, फिर चोरी करने को उकसाया।
अपनों को धक्का देके भगाया, पहले इस गलती को मान।
संकल्प 2013 लेकर तूँ आजा, महाभारत के इस मैदान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,..
*इन सब को पहचान लिया तो अब टिकने न देंगे भारत में।
मायावी मृग को  हरने देंगे हम अब कोई सीता भारत में।
65 वर्षों हमें छला गया, अब और छलने न देंगे भारत में। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*आओ फिरसे बनाये देश महान, जिसका यश गाये सारा जहान।
हम सोने की चिड़िया ऐसी बनायें, जहाँ कोई न हो परेशान। 
आने वाला कल चमकाने में, हम आज कर जायेंगे बलिदान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*ये मेरा प्यारा देश महान, जिसका यश गाता था जहान।
क्यों? उसके ये दुरदिन आये, के सारा देश हुआ परेशान।  
एक कदम फिसले न संभालता, चाहे कितना रहे पहलवान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।। 
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
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