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सोमवार, 14 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती समारोह

स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती समारोह
स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति दिल्ली के तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द जी की150 वीं जयंती पर भव्य 'शोभा यात्रा' 
नई दिल्ली. 12 जन. 2013, उत्तिष्ठत जाग्रत का उदघोष करने वाले आधुनिक संत स्वामी विवेकानन्द जी की150 वीं जयंती के 12 जन. 2014 तक, वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमो का शुभारम्भ देश की राजधानी दिल्ली में विवेकानन्द 'शोभा यात्रा'  के रूप में हुआ। जिसमें 15,000 से अधिक व्यक्तियों द्वारा भाग लिया गया ।
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लाल किले के मंचीय कार्यक्रम में स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति की अखिल भारतीय अध्यक्षा चित्र 1 पूज्य माता  अमृतानन्दमयी देवी जी (अम्मा) द्वारा आशीर्वाद, गायत्री रिवार के सुविख्यात आध्यात्मिक विचारक डॉ. प्रणव पंड्या, द्वारा सभा को संबोधित किया गया। शोभा यात्रा को प्रमुख आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक नेताओं ने भी संबोधित किया। 
सभी वक्ताओं इस तथ्य पर बल दिया कि देश के पुनर्जागरण में देश के युवाओं की भूमिका के लिए स्वामी जी का आदर्श होना चाहिए। केवल जंगल में सन्यास लेने का अर्थ आध्यात्मिकता नहीं, इससे समाज का जीवन सुधारना है। दिशाहीन युवा से देश का भविष्य नकारात्मक बनता है। समस्त समाज को उठाने का आधार सही शिक्षा है, व शिक्षा पद्धति है।
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तथा मंच पर विराजमान अन्य नारायण गुरू संस्थान केरल के स्वामी ऋतम्भरानन्द जी, विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेशचन्द्र जी, विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के अध्यक्ष श्री पी.परमेश्वरन जी, राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिला ताई मेढे जी, वाल्मीकि समाज के सन्त स्वामी विवेकनाथ जी महाराज, संत आत्मानन्द जी (राम कृष्ण आश्रम), और राघवानन्द जी, स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव श्री अनिरुद्ध देशपाण्डे जी, स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति दिल्ली के अध्यक्ष श्री राधे श्याम गुप्ता जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा भी थे। 
स्वामी जी का संदेश:  हालांकि स्वामीजी को शिकागो व्याख्यान, "अमेरिका के भाइयों और बहनों" के माध्यम से सर्वाधिक स्मरण किया जाता है, लेकिन भारत  भारतीय और विश्व में उनके हिस्से के मिलने के बारे में उनकी चिंताएँ, प्रतिष्ठित व्याख्यान से बहुत परे है। उदाहरण के लिए कि यह व्यापक रूप से नहीं जाना जाता है कि देश के औद्योगिक विकास के लिए टाटा समूह को अपनी स्टील इकाइयों की स्थापना में प्रोत्साहित करने के लिए जिम्मेदार स्वामीजी थे। भारतीय विज्ञान संस्थान स्थापित करने के विचार का सर्जक स्वामीजी थे। स्वामी जी का संदेश देश की व्यापक आध्यात्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और औद्योगिक जागृति की प्रेरणा के लिए है। विशेष रूप से भारतीय युवा है जो देश के भविष्य हैं, व समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच स्वामी जी का संदेश फैलाने के उद्देश्य से  स्वामी विवेकानन्द की जयंती समारोह वर्ष भर चलता रहेगा।
    विवेकानन्द फाउंडेशन के तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह समिति150 वर्ष समारोह के कार्यक्रम वर्ष भर चलेंगे। इनका उद्देश्य देश भर में और समाज के सभी वर्गों के बीच में विवेकानन्द जी की भावना को पुनर्जीवित करने के लिए है। सारे देश में स्कूलों और कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, गांवों, समाज के वंचित वर्गों, महिलाओं, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजातियों,  उत्तर पूर्वी राज्यों, आदि के माध्यम, स्वामीजी के संदेश का प्रसार करने में  (4 करोड़) से अधिक परिवारों से संपर्क किया जाएगा।
P-6.jpg'भव्य शोभा यात्रा': कार्यक्रम के अंत में लाल किला से चांदनी चौक, खारी बावली, लाहोरीगेट, नावल्टी सिनेमा, पु. दिल्ली रेलवे स्टेशन और वापस लाल किला (3.5 किमी) 'शोभा यात्रा' निकाली गई। जिसमें स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन को दर्शाती भव्य झांकियां निकाली गई। स्वामी विवेकानन्द सार्धशती के उद्देश्य व पांचों आयामों (युवा, प्रबुद्ध भारत, संवर्धिनी, ग्रामायण, अस्मिता) को दर्शाती भव्य झांकियां प्रस्तुत की गई। 'शोभा यात्रा' के मार्ग में क्षेत्र के निवासियों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, धार्मिक संगठनों, शैक्षिक संस्थानों के हजारों व्यक्तियों ने गुलदस्ते की प्रस्तुति और फूलों की पंखुड़ियों आदि, के द्वारा शोभा यात्रा का स्वागत किया गया व पूरा मार्ग बैनर और स्वागत द्वार आदि के साथ सजाया गया था। शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में स्कूली छात्रोंनागरिक व महिलाओं ने भाग लिया। 
इस शोभायात्रा में स्वामीजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के चित्रण (जैसे जाग भारत और विश्व जागो, रॉक मेमोरियल, रामकृष्ण परमहंस, शिकागो व्याख्यान, आदि) के मंचन द्वारा द्रष्टांत को दर्शाया गया। जीवन के विभिन्न रंगो से संबंधित, स्कूलों और छात्रों की एक बड़ी संख्या के अतिरिक्त व्यापार संगठनों, किसानों संघों, श्रम संघों, महिला संगठनों, सांस्कृतिक समूहों, विविध धर्म समूहों, कलाकारों, आदि से जुड़े हुए स्वामी विवेकानन्द जी के सभी अनुयायियों से सौ से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
ये शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते।

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