YDMS चर्चा समूह

बुधवार, 5 नवंबर 2014

प्रकाशपर्व की बधाइयाँ

प्रकाशपर्व की बधाइयाँ

गुरुनानक जयंती पर विशेष 
जो बोले सो निहाल सतश्री अकाल 
132235549अखिल विश्व में बसे गुरुसिख, उनके दिल बसे नानक देव। सभी को प्रकाशपर्व की कोटि कोटि बधाइयाँ, शुभकामनाये, -तिलक समस्त युगदर्पण मीडिया परिवार YDMS
गुरपूरब के पवित्र दिन का महत्व - इसे प्रकाश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस पवित्र दिन केशधारी व सेहजधारी गुरु ग्रन्थ साहब की वाणी का अमृत, तथा कीर्तन अरदास करते हैं। इसके पूर्व प्रभात फेरियाँ निकली जाती हैं। गुरुद्वारों में अखंड लंगर तो 
कृ इस लिंक पर बटन दबाएं http://dharmsanskrutidarpan.blogspot.in/2014/11/blog-post.html
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,

योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक 
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

सुधरेंगे नहीं, हम?

सुधरेंगे नहीं, ?औकात भूल गए क्या? मार्च में इन्ही हरकतों ने डुबोया था, तुम्हें और तुम्हारे आकाओं को मई में 



#आजतक चैनल के #थर्ड डिग्री #कार्यक्रम में मार्च में बाबा राम देव ने कहा
 कभी राहुल गांधी को भी बुलाकर इस कार्यक्रम में घेरिये। तो इस पर पुण्य प्रसून का उत्तर """
आप भी कभी मोदी जी से, इस कार्यक्रम में आने के लिए कहिये।""राहुल गांधी के नाम पर मिर्ची लग जाती है इनको। इन हरामखोरो को याद नहीं रहा लगता हैमोदी इनके चेनल पर सीधी बात मे चुके है और ये क्या चाहते है?मोदी इस दलाल चेनल पर बार 2 आये, तो इसके इनकी घटती टीआरपी फिर बढ़े ये अपने सगे वाले कोंग्रेसियो के दलाल चेनल, अपने आकाओं को बुलाकर टेड़ा प्रश्न पूछ, आकाओं को नंगा करने का साहस नहीं होता। तभी तो बुला कर हल्का प्रश्न पूछतेहै। आज तक न्यूज़ चैनल सबसे बड़ा कोंग्रेसी, औरआप पार्टी का दलाल। इनका काम हिन्दू धर्म हिन्दू संगठनो पर ऊँगली उठाना और साथ में दिन रात मोदी, भाजपा के बारे में झूठे समाचार दिखा कर लोगो को भ्रमित करना। 
नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक विकल्प युगदर्पण| -YDMS मार्च 2014 
और अब भी -जिस परिवार की सरकार ने 6 दशक 21900 दिन सत्ता में रह कर, केवल देश को लूटा, वादे पूरे हैं किये, मात्र 100 दिन में बिलखने लगे ? साथ में उनके टुकड़खोर, जिन्हे पहले मलाई की खुरचन मिल जाती थी, हाय अब क्या करेंगे ? रोना बिलखना इस बात का है। 
उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !! 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 
तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(सोशल मीडिया में विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। 
आपकी सहमति के, शेयर के सभी आँकलन तोड़ -ये पहुंचें 125 करोड़
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक

बुधवार, 20 अगस्त 2014

आत्मविश्लेषण -भाईचारे के कैंसर का !

आत्मविश्लेषण -भाईचारे के कैंसर का ! 
वन्देमातरम,
उत्तिष्ठत पार्थ, उत्तिष्ठत जाग्रत; जागृति ही संस्कृति का बोध है।
इराक में सुन्नी आतंकी जिस प्रकार शियाओं का रक्तपात कर रहे हैं, उससे ये बातें स्पष्ट हैं कि
* जो मुस्लिम हो कर मुसलमानों का क्रूरता पूर्वक रक्तपात, महिला व अबोध बालकों के प्रति जघन्यतम अमानवीयता का व्यवहार कर रहे हैं, उ प्र सरकार व तथाकथित मानवतावादी पाखंडी इनके अपराधों को भाईचारे के नामसे कितना छुपा ले, सत्य मुजफ्फरनगर मुरादाबाद या बरेली का, ये छछूंदर लगाके भाईचारे का तेल चमेली का, छुपा नहीं सकते।
हिन्दू और शिया मुसलमान दोनों सहित सम्पूर्ण मानवता पर संकट है सुन्नी, ये जान ले हर मुन्ना मुन्नी। 
* जिनके अमानवीय आतंकी स्वरूप को जगत ये सारा जानता है, भारत भी इसे पहचानता है। ऑस्ट्रेलिया इन्हें इस रूपमे अस्वीकार कर चूका है। अमेरिका इतने विशाल देश में इन्हे एक कोना तक देने को तैयार नहीं, ऐसे शैतान का समर्थन, पालन व संरक्षण कैसा मानवतावाद है ? पाखंड है, राष्ट्रद्रोह है।
* सुन्नी आतंकीयों की अमानवीयता की दुर्गन्ध छिपाते, जो लगाके भाईचारे का तेल चमेली का, स्वयं को मानवतावादी कहने का छल करते है। सुन्नी आतंकीयों की अमानवीयता जानते हुए अनजान बनते हैं? एक ओर निरपराध हिन्दुओं के रक्तपात के उनके अपराधों के लिए हिन्दुओं को ही अपराधी का कलंक लगाकर दण्डित करना, दोहरा अत्याचार का अपराध करना है। ये पाखंडी स्वयं उनके अपराध के सहभागी बनते हैं।
* ऐसे मानवतावादी दो प्रकार के हैं: एक जो वामपंथी या मैकालेवादी, राष्ट्र के शत्रु हैं दूसरे काले अंग्रेज व शर्मनिरपेक्ष हिन्दू जो इनके 6 -7 दशकों के बनाये वातावरण (शिक्षा प्रचार व्यवस्था पर नियंत्रण द्वारा) से भ्रमित, गीता का उपदेश भूल चुके, इनका पक्ष लेते हैं।
* अंत में इनके समर्थक बताएं, मानवतावाद के नाम पर ऐसे अमानवीय शैतान का समर्थन, कर क्या आप मानवता की सेवा कर रहे हैं या विनाश ? कैंसर ग्रस्त अंश का उपचार रोकना या टालना पूरे शरीर को कैंसरमुक्त करना है या कैंसरयुक्त ? निर्णय आपका है परिणाम पूरे देश को भुगतना है।
इसका आत्मविश्लेषण करें, कहीं आपकी सोच, अनचाहे अनजाने में राष्ट्रघाती न बन जाये।
आओ भारत को सशक्त बनायें! अधिक से अधिक शेयर कर 125 करोड़ तक पहुंचाएं!!
उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !! 
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राष्ट्ररक्षायाम उत्तिष्ठत जाग्रत, परित्राणाय साधुनाम विनाशाय
च: दुष्कृताम, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !! -तिलक
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रविवार, 10 अगस्त 2014

आप कैसा भारत चाहते हैं ?

आप कैसा भारत चाहते हैं ? 
आप अपनी आने वाली पीढ़ी को कौनसा भारत देना चाहते हैं? जब दारुल हरब और दारुल इस्लाम के नामसे वैश्विक निर्णायक युद्ध छेड़ा जाये आप कहें मैं युद्ध के विरुद्ध हूँ, तो क्या आप बच पाएंगे? आप कहें सबके खून का रंग एक है तो क्या रंग एकता का क्विक फिक्स है? डीएनए तो भिन्न है। क्या + ग्रुप के रक्त में - ग्रुप का रक्त चढ़ाया जा सकता है ? जहाँ युद्ध नियम से नहीं, किसी मूल्य पर विजय केंद्रित हो तब निष्क्रियता प्राण रक्षा नहीं आत्महन्ता बन जाती है। निर्णायक युद्ध का परिणाम हिन्दू भारत या इस्लामिक दोनों में से एक चुनना होगा तीसरा कोई विकल्प नहीं। 
जो हिन्दू मुस्लिम तर्क नहीं समझते ताश का फ़्लैश जानते हैं। आप खेल में बैठे सेक्युलर ढंग से कहते हैं मैं हारने जीतने के पक्ष में नहीं हूँ। अपने चक्र का बूट शायर डालना पड़ेगा, किसी भी गणित से खेल के अंत में हारा मिलेगा। 
अब निर्णय आपका है। हिन्दू भारत या इस्लामिस्तान ? गीता की कर्मण्यता अपनाएंगे या वामपंथियों की कुत्सित भ्रमित कर्मण्यता। क्योंकि इनका पाखंड तो अब खंड खंड होगा यह निश्चित है। 
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धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ?

धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ? 
धारा 30 (A) क्या आप इसे उचित मानते हैं ? 
क्या आप इस शर्मनिरपेक्ष अनुचित कुचक्र का समर्थन करते हैं।  क्या यह धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत के इस्लामीकरण का गुप्त द्वार (चोरदरवाजा) नहीं है ? यह पूर्ववर्ती शर्मनिरपेक्ष सरकार का दिया तालिबानी कानून है। समानता के नामपर घोर भेदभाव कारक। 
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शनिवार, 9 अगस्त 2014

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड
वन्देमातरम,
जिन्दा हूँ के साँस अभी बाकि है ये मुहावरा क्या आपको वीरोचित लगता है ?
आशावाद आवश्यक है किन्तु जब उसमे पुरुषार्थ जुड़ा हो और पुरुषार्थ मन से आशा सहित ही परिणाम कारक होता है -ईश्वर पर विश्वास और पुरुषार्थ का संगम आवश्यक है। गीता के सन्देश 'कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।' को स्मरण रखें -तिलक संपादक युगदर्पण।
विगत 700-800 वर्षों से, हमें भारत में बहुत कुछ विदेशी आक्रमणों के कारन झेलने को मिला है, किन्तु हम अभी भी बच गए है और गत 20 वर्षों में हमें पुनर्जीवित किया जा रहा है और इस प्रकार का विचार कई बार कहने सुनने में आता रहा है। दूसरी ओर तर्क यह भी है कि 2000 वर्ष पूर्व कोई ईसाई धर्म अथवा इस्लाम नहीं था जो आज 50 % हैं। केवल हिंदुत्व अथवा इसी के विस्तार में बौद्ध धर्म सम्पूर्ण एशिया में व्याप्त था या जैन भी हुए। भारत 80 % सिकुड़ कर मात्र 20 % रह गया है। और हम 2000 वर्ष पूर्व के गौरव के साथ वर्तमान के यथार्थ को भी समझें। विश्व के अनेक देशों हमारी संस्कृति के खंडहर हमारी गौरव गाथा आज भी गा रहे है (जब कि इस्लाम ने कई स्थानों पर उन्हें नष्ट भी किया है)।
हम 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता हैं. क्योंकि हम अजेय भी रहे हैं और विश्व विजेता हम अपने शौर्य प्रक्रम के कारण थे किन्तु पराजितों को बार बार क्षमा दान देने वाले एक बार जयचंद अथवा छलपूर्वक पराजित किये जाने पर मर्दन का शिकार हुए। इसने हमारे गौरव का भी मर्दन कर दुष्ट वामपंथियों व मैकाले वादियों को यह अवसर प्रदान किया कि हमें हीनता का शिकार बना, भ्रम की स्थिति बनाने का कुचक्र रच सकें। विगत में शासक इसी स्थिति का या तो समर्थन करते रहे या रोकने में असफल रहे। विश्व गुरु और विश्व विजेता भारत विश्व कल्याण से अपने कल्याण में भी असमर्थ दिखा। अत: कथित मानवता वादी पाखंड से भ्रमित पौरुष त्याग चुके, हमारे आज की महाभारत के अर्जुन अकर्मण्यता का त्याग करें।
कल्पना यह करें कि जिस सोने की चिड़िया के पंख एक सहस्त्र वर्ष से आज तक (संप्रग की लूट सहित) नोचे जा रहे हैं उसका पूर्व रूप कैसा रहा होगा। कल्पना यह करें कि नालंदा तक्षशिला के विशाल ज्यान भंडार मुगलों ने जिनका अग्नि दहन किया। फिर भी उनका समर्थन करने में अपनों से लड़ते कथित मानवता वादी। इनके दबाव या भ्रम में जीवन की महाभारत के हमारे अर्जुन पौरुष त्याग, किस प्रकार जाने अनजाने चाहे अनचाहे विश्व कल्याणकारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं। उत्तिष्ठत पार्थ उत्तिष्ठत जागृत
क्योंकि, हमारा गौरव पूर्ण इतिहास काल्पनिक नहीं है। अत: हम न तो पूर्व की कल्पनाओं में संकटों को अनदेखा करें, न इतिहास को नकार कर हीन भावना और भरें, आत्म मुग्ध या आत्म हन्ता बन संकट की अनदेखी, ये दोनों ही आत्म घाती है हानि कारक हैं। आंतरिक शक्तियों का संचय एवं संवर्धन कर, भारत फिर विश्व गुरु और विश्व विजेता बन हम विश्व कल्याण में अपनी भूमिका निर्धारित कर सकते हैं।आधुनिक ज्ञान विज्ञान से पुष्ट हमारा पौराणिक ज्ञान विज्ञान तथा नई ऊर्जा का संचय कर भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण हमारी स्वतंत्रता के अच्छे दिनों का सन्देश होगा।
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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

मानवतावादी पाखंडीयों कहाँ हो ?

मानवतावादी पाखंडीयों कहाँ हो ? 
ISIS के आतंकी की दुल्हन बनी, 7 वर्ष की एक अबोध, बालिका देवी के लिये पल भर के लिये आंखों मे अंगारे भरना तो दूर आंखें नाम भी नहीं होती, वैभवशाली कोठी के वातानुकूलित कमरो मे मानवतावाद के पाखंडी शर्मनिरपेक्ष सेकुलरों की ..? भगवान न करे, ये भी ऐसे ही किसी दरिन्दे के साथ अपने घर की किसी देवी को स्वयं अपने हाथ से सजा सवार कर भेजने एवं इन्ही आंखो से अश्रु बहाने के लिये बाध्य हो ... अन्यथा कोई एक बहन बेटियोंवाला मुझे गारंटी दे कि बहुत शीघ्र ही ये दृश्य उसके घर मे नही दिखेगा ..
जब नकारात्मक बिकाऊ मैकालेवादी, मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें; शर्मनिरपेक्ष मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, - आओ मिलकर देश बचाएं ! पत्रकारिता व्यवसाय नहीं, एक पुनीत संकल्प है। इस देश को लुटने से बचाने हेतु तथा विश्व कल्याणार्थ, जड़ों से जुड़ें युगदर्पण के संग। विविधता, व्यापकता व राष्ट्रवाद के लेखन सहित: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में विविध विषय के 30 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc तथा कई समूह, समुदाय एवं पेज भी है।
युगदर्पण राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचारपत्र (2001) पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार सम्पूर्ण समाचार।  
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 7531949051, 9911111611
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
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राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक

मानवतावाद का चोला ?

मानवतावाद का चोला ? सही लगे तो शेयर कर
125 करोड़ तक पहुचाएं।
वन्देमातरम, (कृ ध्यान से पूरा पढ़ें तथा अंतरात्मा से सही निर्णय लें।)
यदि बात सबकी भावनाओं का सम्मान करने की है ?
सर्व पंथ समादर तो हिन्दू चरित्र में है। तभी स्वतंत्रता के बाद अन्यों का काल्पनिक भय दिखा कर भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने के प्रस्ताव को सहज स्वीकार लिया गया। फिर धर्म निरपेक्षता की विकृत परिभाषा से हिंदुत्व को कुचलने व राष्ट्रद्रोहियों का समर्थन करने का नया मुखौटा बना मानवतावाद। जबकि एक सच्चा मानवतावाद हिंदुत्व में युगों युगों से निहित है। आचरण में है। मानवतावाद का आडम्बर; जिनका समर्थन करता है; उनका चरित्र उतना ही दोगला है; जितना मानवतावाद के पाखंडियों का। जिहादियों के छींकने से इन्हे बुखार हो जाये, क्या वे राष्ट्रद्रोहियों से किसी प्रकार काम है?
  किन्तु आधी सदी और 3 पीढ़ियों को मानवतावाद के नाम से हिन्दू विरोधी होने पर गर्व करना सिखाया गया। इसी के चलते कथित 'एलीट' शान से मानवतावाद का चोला ओढ़े हिन्दू को सांप्रदायिक कहने में तथा जिहादियों के समर्थन में जाने -अनजाने राष्ट्रद्रोहियों के पापों का सहभागी बनता है।
क्या अब भी आप स्वयं को मानवतावादि तथा हिन्दू साम्प्रदायिकता (जो हमारी संस्कृति को नष्ट करने अपसंस्कृति फ़ैलाने का कुचक्र है) जैसे भ्रम जनित सम्बोधन त्यागना नहीं चाहेंगे ?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक  व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों मेंएक वैश्विक पहचान है।
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!     যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुग दर्पण:,  yugdarpan
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
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मंगलवार, 24 जून 2014

'वो आपातकाल'

'वो आपातकाल' सत्ता की अनंत भूख की उपज 
सत्ता की अनंत भूख, उसे बनाये रखने में तानाशाही और बाधाओं को कुचलने में उपजा आपातकाल यह काला अध्याय, भले एक घटना रही हो; किन्तु इस प्रक्रिया का क्रम यही है। जब सत्ता प्राप्ति का लक्ष्य, समाज के हित को भूल कर, साधनों का एकीकृत संग्रह करने हेतु स्वार्थ के वशीभूत होकर, लोभ तुष्टि बन जाये तो परिणाम यही होता है। लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्वहीन तथा लोभ को लोक से बड़ा मान, संयम को नकार असंयमित व्यवहार की परिणती वह त्रासदी है, जिसे हमने 39 वर्ष पूर्व आपातकाल के रूप में देखा व भुगता। 
जब चुनाव अभियान में सरकारी तंत्र का दुरूपयोग करने के लिए इलाहाबाद कोर्ट ने उन्हें 6 वर्ष के लिए संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया था। पद छोड़ने के बजाए उन्होंने संविधान को स्थगित कर दिया। अपनी चमड़ी बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25-26 जून 1975, की रात में स्वतंत्रता का हनन कर, स्वार्थ की काली स्याही से अंधकार का आपात अध्याय लिख दिया।
प्राय: एक लाख लोगों को बिना सुनवाई के बंदी बना लिया गया और जिन्होंने उनकी भ्रष्ट सरकार के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व करने वाले जयप्रकाश नारायण, सहित सभी विपक्षी नेताओं को बंदगृह में डाल दिया गया। सबसे बुरा यह हुआ कि उन्होंने वैधानिक संस्थाओं को नष्ट किया, जो अभी तक नहीं सुधर पाई हैं। आपातकाल की मेरी कई रचनाएँ, जिनका स्मरण कर पा रहा हूँ, 'काव्यांजलिका' में प्रस्तुत हैं। http://www.kaavyaanjalikaa.blogspot.com/ 
हमें समझना होगा कि संविधान की सीमा उल्लंघन और पारदर्शीता का त्याग अनियंत्रित सरकार को तानाशाह बना सकता है। एक सशक्त सरकार का अर्थ होता है एक कर्मशील सरकार, न कि एक व्यक्ति का शासन, जो उस संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करता है, जिसका हमने राष्ट्रपति प्रणाली के समक्ष चयन किया है। यहाँ जनता स्वामी है और इसकी आवाज को दबाने के लिए कुछ भी करना, हमारे लोकतांत्रिक, अनेकतावादी और समता के आदर्शों वाले गणतंत्र के मूल तत्व के विपरीत है।
इन सिंद्धातों को खंडित करने वालों को, 1977 में हुए चुनाव ने पराजय से दण्डित किया। यहां तक कि इंदिरा गांधी जैसा प्रभावी व्यक्ति भी चुनाव में पराजित हो गया। यह सब जानना महत्वपूर्ण है जिससे इसकी पुनरावृति नहीं हो। 
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक

रविवार, 1 जून 2014

इस समूह के पाठकों की सूचनार्थ

इस समूह के पाठकों की सूचनार्थ:
सत्ता परिवर्तन हुआ व्यवस्था व परिवर्तन अभी शेष है केवल मार्ग खुला। शर्म निरपेक्ष लुटेरी सरकार के जाने से परिवर्तन की राह खुली। विकासोन्मुखी, नई सरकार से सहकार तथा समाज और सरकार के बीच तारतम्य बैठने की दृष्टी से, अपने भी कुछ ब्लॉग के नाम, विषय व आकारपट्ट, शीघ्र ही संशोधित किये जा रहे हैं। तथा एक नया 30 वां ब्लॉग 'विकास दर्पण' आरम्भ किया जा रहा है। 
युग दर्पण समाचार पत्र में भी आगामी अंक से सभी मंत्रालयों के समाचारों के लिए अतिरिक्त पृष्ठ 'विकास दर्पण' आरम्भ किये जा रहे हैं।
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु; राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक